Hindi Shayari - Ghazal Status Shayari For Whatsapp

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हर जनम में...

हर जनम में उसी की चाहत थे;
हम किसी और की अमानत थे;

उसकी आँखों में झिलमिलाती हुई;
हम ग़ज़ल की कोई अलामत थे;

तेरी चादर में तन समेट लिया;
हम कहाँ के दराज़क़ामत थे;

जैसे जंगल में आग लग जाये;
हम कभी इतने ख़ूबसूरत थे;

पास रहकर भी दूर-दूर रहे;
हम नये दौर की मोहब्बत थे;

इस ख़ुशी में मुझे ख़याल आया;
ग़म के दिन कितने ख़ूबसूरत थे

दिन में इन जुगनुओं से क्या लेना;
ये दिये रात की ज़रूरत थे।


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कोई बिजली....

कोई बिजली इन ख़राबों में घटा रौशन करे;
ऐ अँधेरी बस्तियो! तुमको खुदा रौशन करे;

नन्हें होंठों पर खिलें मासूम लफ़्ज़ों के गुलाब;
और माथे पर कोई हर्फ़-ए-दुआ रौशन करे;

ज़र्द चेहरों पर भी चमके सुर्ख जज़्बों की धनक;
साँवले हाथों को भी रंग-ए-हिना रौशन करे;

एक लड़का शहर की रौनक़ में सब कुछ भूल जाए;
एक बुढ़िया रोज़ चौखट पर दिया रौशन करे;

ख़ैर अगर तुम से न जल पाएँ वफाओं के चिराग;
तुम बुझाना मत जो कोई दूसरा रौशन करे।

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तेरा चेहरा...

तेरा चेहरा सुब्ह का तारा लगता है;
सुब्ह का तारा कितना प्यारा लगता है;

तुम से मिल कर इमली मीठी लगती है;
तुम से बिछड़ कर शहद भी खारा लगता है;

रात हमारे साथ तू जागा करता है;
चाँद बता तू कौन हमारा लगता है;

किस को खबर ये कितनी कयामत ढाता है;
ये लड़का जो इतना बेचारा लगता है;

तितली चमन में फूल से लिपटी रहती है;
फिर भी चमन में फूल कँवारा लगता है;

'कैफ' वो कल का 'कैफ' कहाँ है आज मियाँ;
ये तो कोई वक्त का मारा लगता है।

नज़र फ़रेब-ए....

नज़र फ़रेब-ए-कज़ा खा गई तो क्या होगा;
हयात मौत से टकरा गई तो क्या होगा;

नई सहर के बहुत लोग मुंतज़िर हैं मगर;
नई सहर भी कजला गई तो क्या होगा;

न रहनुमाओं की मजलिस में ले चलो मुझको;
मैं बे-अदब हूँ हँसी आ गई तो क्या होगा;

ग़म-ए-हयात से बेशक़ है ख़ुदकुशी आसाँ;
मगर जो मौत भी शर्मा गई तो क्या होगा;

शबाब-ए-लाला-ओ-गुल को पुकारनेवालों;
ख़िज़ाँ-सिरिश्त बहार आ गई तो क्या होगा;

ख़ुशी छीनी है तो ग़म का भी ऐतमाद न कर;
जो रूह ग़म से भी उकता गई तो क्या होगा।

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तेरे कमाल की हद...

तेरे कमाल की हद कब कोई बशर समझा;
उसी क़दर उसे हैरत है, जिस क़दर समझा;

कभी न बन्दे-क़बा खोल कर किया आराम;
ग़रीबख़ाने को तुमने न अपना घर समझा;

पयामे-वस्ल का मज़मूँ बहुत है पेचीदा;
कई तरह इसी मतलब को नामाबर समझा;

न खुल सका तेरी बातों का एक से मतलब;
मगर समझने को अपनी-सी हर बशर समझा। 

मेरी रातों की...

मेरी रातों की राहत, दिन के इत्मिनान ले जाना;
तुम्हारे काम आ जायेगा, यह सामान ले जाना;

तुम्हारे बाद क्या रखना अना से वास्ता कोई;
तुम अपने साथ मेरा उम्र भर का मान ले जाना;

शिकस्ता के कुछ रेज़े पड़े हैं फर्श पर, चुन लो;
अगर तुम जोड़ सको तो यह गुलदान ले जाना;

तुम्हें ऐसे तो खाली हाथ रुखसत कर नहीं सकते;
पुरानी दोस्ती है, की कुछ पहचान ले जाना;

इरादा कर लिया है तुमने गर सचमुच बिछड़ने का;
तो फिर अपने यह सारे वादा-ओ-पैमान ले जाना;

अगर थोड़ी बहुत है, शायरी से उनको दिलचस्पी;
तो उनके सामने मेरा यह दीवान ले जाना।

बुझी नज़र तो....

बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये;
कि अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये;

करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला;
यही है रस्मे ज़माना तो हम भी अब के गये;

मगर किसी ने हमें हमसफ़र नही जाना;
ये और बात कि हम साथ साथ सब के गये;

अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिए;
ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये;

गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नहीं हारा;
गिरफ़्ता दिल है मगर हौंसले भी अब के गये;

तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो 'फ़राज़';
इन आँधियों में तो प्यारे चिराग सब के गये।


भड़का रहे हैं आग...

भड़का रहे हैं आग लब-ए-नग़्मागार से हम;
ख़ामोश क्या रहेंगे ज़माने के डर से हम;

कुछ और बड़ गए अंधेरे तो क्या हुआ;
मायूस तो नहीं हैं तुलु-ए-सहर से हम;

ले दे के अपने पास फ़क़त एक नज़र तो है;
क्यों देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम

माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके;
कुछ ख़ार कम कर गए गुज़रे जिधर से हम।

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फिर उसके जाते ही....

फिर उसके जाते ही दिल सुनसान हो कर रह गया;
अच्छा भला इक शहर वीरान हो कर रह गया;

हर नक्श बतल हो गया अब के दयार-ए-हिज्र में;
इक ज़ख्म गुज़रे वक्त की पहचान हो कर रह गया;

रुत ने मेरे चारों तरफ खींचें हिसार-ए-बाम-ओ-दर;
यह शहर फिर मेरे लिए ज़ान्दान हो कर रह गया;

कुछ दिन मुझे आवाज़ दी लोगों ने उस के नाम से;
फिर शहर भर में वो मेरी पहचान हो कर रह गया;

इक ख्वाब हो कर रह गई गुलशन से अपनी निस्बतें;
दिल रेज़ा रेज़ा कांच का गुलदान हो कर रह गया;

ख्वाहिश तो थी "साजिद" मुझे तशीर-ए-मेहर-ओ-माह की;
लेकिन फ़क़त मैं साहिब-ए-दीवान हो कर रह गया।


ज़रा-सी देर में...

ज़रा-सी देर में दिलकश नज़ारा डूब जायेगा;
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा;
न जाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं;
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा;

सफ़ीना हो के हो पत्थर, हैं हम अंज़ाम से वाक़िफ़;
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा;

समन्दर के सफर में किस्मतें पहलू बदलती हैं;
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा;

मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको;
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा।



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Hindi Shayari - Ghazal Status Shayari For Whatsapp Hindi Shayari - Ghazal Status Shayari For Whatsapp Reviewed by Lalit Kumar on December 05, 2019 Rating: 5

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